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BCCI को कोच्चि टस्कर्स केस में बॉम्बे हाईकोर्ट की ओर से बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट ने बीसीसीआई की पिटीशन खारिज कर दी है। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने बीसीसीआई को झटका देते हुए कोच्चि टस्कर्स के मालिकों के पक्ष में 538 करोड़ रुपये के आर्बिट्रल अवॉर्ड को सही ठहराया है।
जाने पूरा मामला क्या है?
दरअसल कोच्चि टस्कर्स केरला टीम ने आईपीएल 2011 में भाग लिया, फिर बीसीसीआई ने सितंबर 2011 में फ्रैंचाइजी समझौते के उल्लंघन के कारण 10 प्रतिशत बैंक गारंटी प्रस्तुत करने में विफलता का हवाला देते हुए फ्रैंचाइजी को समाप्त कर दिया। यह भी बताया गया कि मालिकों के बीच कई आंतरिक विवाद भी थे।
हालांकि इस दौरान कोच्चि क्रिकेट प्राइवेट लिमिटेड यानी केसीपीएल ने कहा कि बैंक गारंटी देने में देरी अनसुलझे मुद्दों के कारण हुई, जिसमें स्टेडियम की अनुपलब्धता, शेयरहोल्डिंग पर विनियामक अनुमोदन और आईपीएल मैचों की संख्या में कमी शामिल थी। देरी के बीच, बीसीसीआई और केसीपीएल कई महीनों तक संपर्क में रहे। इस बीच BCCI ने विभिन्न भुगतान भी स्वीकार किए। लेकिन फिर अचानक, बीसीसीआई ने फ्रैंचाइज़ी को समाप्त कर दिया, और आरएसडब्ल्यू द्वारा जारी की गई पूर्व गारंटी को भी भुना लिया।
इसके बाद कोच्चि टस्कर्स फ्रेंचाइजी के मालिकाना हक वाली केसीपीएल और आएसडब्ल्यू ने 2012 में अदलात का रुख करते हुए बीसीसीआई के साथ मामले में मध्यस्थता की अपील की। इस बीच 2015 में कोर्ट ने फ्रेंचाइजी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए बीसीसीआई से केसीपीएल को प्रोफिट के नुकसान के लिए 384 करोड़ रुपये और आरएसडब्यू को बैंक गारंटी के गलत तरीके से नकदीकरण के 153 करोड़ रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया। साथ ही ब्याज और कानूनी खर्चा भी बीसीसीआई के हिस्से में डाल दिया। हालांकि बीसीसीआई ने कोर्ट के इस फैसले का विरोध किया था।
फ्रेंचाइजी के पक्ष में आया फैसला
ऐसे में 2012 से चल रहे इस मामले में 17 जून को बॉम्बे हाईकोर्ट ने 107 पन्नों का आदेश जारी करते हुए बीसीसीआई से फ्रेंचाइजी को 538 करोड़ रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है।