
जर्मनी में आयोजित 1936 बर्लिन ओलंपिक में भारतीय हॉकी टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए अपना दबदबा कायम रखा। इंडियन हॉकी टीम ने खेलों के महाकुंभ के फाइनल मुकाबले में मेजबान जर्मनी को 8-1 हराकर ओलंपिक इतिहास में गोल्ड मेडल्स की पहली हैट्रिक पूरी की।
फाइनल मुकाबले से पहले सेमीफाइनल में भारत ने फ्रांस को 10-0 से करारी शिकस्त दी थी। उस मैच में भारतीय स्टार हॉकी प्लेयर मेजर ध्यानचंद ने चार गोल दागे थे। इस बीच जर्मनी के खिलाफ मैच में ध्यानचंद का बेहतरीन प्रदर्शन देखकर हिटलर भी मेजर ध्यानचंद के फैन हो गए और उन्हें जर्मन आर्मी में शामिल होने का प्रस्ताव दिया।
बिना जुतों के ध्यानचंद ने दिखाया कमाल तो मुरीद हुए हिटलर
आपने हॉकी के जादूगर के नाम से मशहूर पूर्व दिग्गज भारतीय हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यानचंद के बेहतरीन खेल से जुड़े की दिलचस्प किस्से सुनें होंगे। एक ऐसा ही मजेदार किस्सा 1936 में घटित हुआ था। दरअसल भारत ने बर्लिन ओलंपिक 1936 में सेमीफाइनल मुकाबले में फ्रांस को 10-0 से करारी शिकस्त देकर फाइनल में जगह बनाई।
जहां उन्हें मेजबान जर्मनी से भिड़ना था। जर्मनी ने अहम मुकाबले से पहले खेले गए अभ्यास मैच में भारत को 4-1 हराकर सभी को चौंका दिया था। 14 अगस्त को खेले जाने वाला फाइनल मुकाबला तेज बारिश के चलते 15 अगस्त 1936 को खेला गया। खेले गए इस मुकाबले को देखने के लिए उस समय के जर्मनी के शासक हिटलर भी स्टेडियम में मौजूद था।
इस अहम मुकाबले में जर्मनी की आक्रमाक शुरुआत देख हिटलर काफी खुश हुआ। पहले हाफ तक भारत महज 1 गोल से आगे था। लेकिन फाइनल मैच के दूसरे हाफ में मेजर ध्यानचंद ने बिना जूतों के मैदान में उतरने का फैसला किया। हॉकी के जादूगर ने दूसरे हाफ में जो कमाल किया उसने हर किसी को हैरान कर दिया था। ध्यानचंद ने दूसरे हाफ लगातार गोल किए। इसकी बदौलत भारत मुकाबला 8-1 से जीतने में सफल रहा।
फाइनल मैच में हिटलर ध्यानचंद से काफी प्रभावित हुए। मैच के बाद हिटलर ने ध्यानचंद से हाथ मिलाने के बजाय सैल्यूट किया और ध्यानचंद से कहा, ‘जर्मन राष्ट्र आपको अपने देश भारत और राष्ट्रवाद के लिए सैल्यूट करता है। हिटलर ने ही उन्हें हॉकी का जादूगर का टाइटल दिया था। इसके साथ ही हिटलर ने ध्यानचंद को जर्मन सेना में शामिल होने का प्रस्ताव दिया, जिसे ध्यानचंद ने ठुकरा दिया था। और कहा कि भारत बिकाऊ नहीं है।