Indian men’s hockey team

41 बरस बाद टोक्यो ओलंपिक में कांस्य पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम ने पेरिस ओलंपिक में जाने से पहले जमकर तैयारी की थी। जिसका परिणाम पेरिस ओलंपिक में अब तक खेले गए मुकाबलों में देखने को मिला है। भारत ने पेरिस ओलंपिक की शुरुआत से पहले  स्विट्जरलैंड में 'लाइफ कोच' माइक हॉर्न के साथ तीन दिवसीय बूट-कैम्प किया था। 

पेरिस ओलंपिक से पहले भारतीय हॉकी टीम ने की थी जमकर तैयारी 

टोक्यो ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता भारतीय हॉकी टीम ने पेरिस ओलंपिक से पहले कड़ी मेहनत की थी। तैयारी के दौरान भारतीय हॉकी टीम 3 दिनों के स्विट्जरलैंड दौरे पर गई। जहां टीम को लाइफ कोच माइक हॉर्न ने बूट कैम्प के दौरान कई अहम बातों की सीख दी थी। 

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बूट कैम्प के दौरान टीम इंडिया  आल्प्स की सबसे ऊंची चोटी ग्लेशियर 3000 पर चलने से लेकर लुभावनी रूप से सुंदर रूगमोंट के माध्यम से साइकिल चलाने तक के सफर में स्विस 'लाइफ कोच' माइक हॉर्न ने भारतीय पुरुष हॉकी टीम विफलता के डर को दूर करने और अपने कम्फर्ट जॉन से बाहर आने जैसे कई अहम विषयों पर बात की। 

गौरतलब है कि हॉर्न ने अपने शानदार करियर में 2011 वर्ल्ड कप विजेता भारतीय क्रिकेट टीम, 2014 आईपीएल विजेता केकेआर टीम और 2014 विश्व कप फुटबॉल चैंपियन जर्मन टीम के साथ काम कर चुके हैं। 

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भारतीय टीम का प्रदर्शन देखकर माना जा सकता है कि हरमनप्रीत सिंह एंड कंपनी पर तीन दिवसीय बूट-कैंप का प्रभाव पड़ा है।  जैसा कि भारत अपने क्वार्टर फाइनल मैच की तैयारी कर रहा है, ऐसा लगता है कि हॉर्न के बूट-कैंप का वांछित प्रभाव पड़ा है।

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58 वर्षीय हॉर्न ने ग्लेशियर पर चलने के लिए कहे जाने पर हॉकी खिलाड़ियों की प्रतिक्रिया को याद करते हुए पीटीआई से कहा था कि "उन्होंने चुनौतियों को स्वीकार किया और एक-दूसरे का समर्थन किया, एक मजबूत बोंड बनाया जो उनकी आगामी प्रतियोगिताओं के लिए महत्वपूर्ण होगा।

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बूट-कैम्प के दौरान खिलाड़ियों को शारीरिक और मानसिक रूप से चुनौती देने के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया था, जिसमें कई रोमांच जैसे कि स्विट्जरलैंड के बर्नीज़ ओबेरलैंड क्षेत्र के एक सुरम्य गाँव सानेन में पहली रात बिताना शामिल थे।  दूसरे दिन रूगमोंट के लिए साइकिल चलाना, एक केबल कार की सवारी, और एक संरक्षित चढ़ाई मार्ग-वाया फेराता से निपटना शामिल था।