1928 Amsterdam olympics

आज से महज 1 दन बाद खेलों के महाकुंभ का आयोजन फ्रांस की राजधानी पेरिस में 26 जुलाई से शुरु होने जा रहा है। जो अगले महीने की 11 अगस्त तक चलेगा। पेरिस ओलंपिक 2024 में 117 भारतीय खिलाड़ी मेडल जीतने की उम्मीद से मैदान पर उतरने वाले हैं। ऐसे में इस महाकुंभ के नए संस्करण के आगाज से पहले आपको एक ऐसे मजेदार किस्से से दो-चार करवाएंगें, जिसको सुनकर आपका सीना गर्व फुल जाएगा। 

जब भारत से हार के डर से अंग्रेजों ने लिया नाम वापस 

दरअसल बात  1928 एम्स्टर्डम ओलंपिक तब तक फील्ड हॉकी को ओलंपिक में शामिल किए करीब 20 बरस हो गए थे। 1908 में मॉस्को ओलंपिक में पहली बार फील्ड हॉकी को ओलंपिक में शामिल किया गया था। हालांकि 1912 में फिर इसे बाहर कर दिया गया, लेकिन 1920 में हॉकी फिर ओलंपिक का हिस्सा बनी। 1908 और 1920 में गोल्ड मेडल जीतने वाली इंग्लिश टीम  1928 एम्स्टर्डम ओलंपिक  में भारत के खिलाफ मिली अभ्यास मैचों में करारी हार के बाद ओलंपिक से नाम वापस लेने का फैसला किया। क्योंकि भारत ने पहली बार 1928 में एक उपनिवेश के तौर पर भाग लेने का निर्णय किया था।

उस समय भारतीय हॉकी टीम को दुनिया की सर्वश्रेष्ट टीम का दर्जा प्राप्त था। हॉकी में भारत के दबदबे की शुरुआत 1928 ओलंपिक से ही हुई थी। एम्स्टर्डम में खेले गए उस खेलों के महाकुंभ में भारतीय हॉकी टीम ने कुल 29 गोल किए थे। उनमें से अकेले 14 गोल हॉकी के जादूगर के नाम से मशहूर मेजर ध्यानचंद ने किए थे। उस ओलंपिक में पूरी टीम के बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर भारत ने ओलंपिक में पहला गोल्ड मेडल अपने नाम किया था। 

भारत की जीत के बाद इंग्लिश हॉकी टीम का डर सहीं साबित हुआ। इंग्लिश टीम नहीं चाहती थी की दुनिया के सामने वह अपने किसी उपनिवेशक देश से करारी शिकस्त का सामना करे। यह उस समय बहुत बड़ी बात थी। जब किसी गत विजेता को किसी देश ने ओलंपिक जैसे बड़े आयोजन में भाग लेने से रोक दिया हो।