
खेलों के महाकुंभ का आगाज 26 जुलाई से फ्रांस की राजधानी पेरिस में होने जा रहा है। जिसमें भारत के 117 खिलाड़ी पदक जीतने के लिए दमखम दिखाते नजर आएंगे। हालांकि ओलंपिक खेलों में भारत के सबसे पूराने खेलों में से एक और कबड्डी इसका हिस्सा नहीं है। लेकिन भारत ने 1936 में बर्लिन में ओयजित ओलंपिक गेम्स में जर्मनी के तत्कालीन शासक एडो्ल्फ हिटलर के सामने कबड्डी खेलकर सभी को चौंका दिया था। इस आर्टिकल में उसी अनोखे किस्से से आपको अवगत कराते हैं।
जब अमरावती के खिलाड़ियों ने हिटलर को चमका दिया था
भारत के सबसे पारंपरिक और पूराने खेलों में से एक रहे कबड्डी अभी ओलंपिक गेम्स का हिस्सा नहीं है। हालांकि एशियन गेम्स में कबड्डी का रोमांचक खेल खेला जाता रहा है। बावजूद इसके अमरावती के कुछ कबड्डी खिलाड़ियों ने जर्मनी में आयोजित ओलंपिक 1936 में एडोल्फ हिटलर के सामने कबड्डी का रोमांचक खेल खेलकर दुनिया भर में सूर्खियां बंटोरी थी।
दरअसल 1936 बर्लिन ओलंपिक में अमरावती के जाने माने कबड्डी क्लब हनुमान व्यायाम प्रसारक मंडल ने तकरीबन 30 खिलाड़ियों को कबड्डी जैसे कई भारतीय पारंपरिक खेलों में प्रदर्शन करने के लिए भारत से बर्लिन भेजा था। इस यात्रा का आयोजन क्लब के उपाध्यक्ष सिद्धांत काने ने किया। इसके बाद बर्लिन के एक यूनिवर्सिटी मैदान पर 40 मीनट तक पहला मैच खेला गया। उसके फौरन बाद दूसरा और तीसरा मुकाबला खेला गया। इन मैचों को देखने के लिए सैंकड़ों की तादाद में भीड़ जुट गई।
जिसको संभालने के लिए जर्मन पूलिस को कड़ी मेहनत करनी पड़ी। इस मैच के बाद जर्मन के तत्कालीन शासक एडोफ हिटलर ने सिद्धांत काने से मुलाकात करके उनको हिटलर मेडल दिया। उसके दिए गए पत्र पर लिखा था कि "यह मेडल 1936 बर्लिन ओलंपिक में दी गई सेवाओं के लिए दिया जा रहा है। यह सम्मान सिद्धांत काने को दिया जा रहा है।" इस किस्से का जिक्र लेखन विवेक चौधरी ने अपनी किताब 'कबड्डी बाई नेचर' में किया था।