lovlina borgohain

भारत की धाकड़ मुक्केबाज लवलीना बोरगाहेने ने 2023 महिला वर्ल्ड चैंपियनशिप में गोल्ड मेडल जीतकर देश का नाम रोशन किया था। 2 अक्टूबंर 1997 को असम के गोलाघाट में जन्मी लवलीना बोरगाहेने का बचपन पैसों के अभावों में गुजरा। लवलीना ने बचपन से ही आर्थिक चुनौतियों का सामना किया। एक समय उनके पास ट्रेकशुट खरीदने के पैंसे नहीं थे। इतना ही तीन बहनों में लवलीना ने इतनी मुश्किलों से निकलकर असम से ओलंपिक तक का सफर करने वाली पहली महिला खिलाड़ी बनी। 

बड़ी बहनों से प्रभावित होकर शुरु की मुक्केबाजी 

असम से ओलंपिक तक का सफर तय करने वाली लवलीना का सफर बड़ा मुश्किलों भरा रहा।  तीनों बेटियों वाले परिवार के लिए तीनों को बराबर स्पोर्ट करना आसान नहीं था। लवलीना ने मुक्केबाजी की शुरुआत अपनी बड़ी बहनों लीचा और लीमा से प्रभावित होकर की। बहनों ने खाली समय में लवलीना को सिखाना शुरु किया। 

इसके बाद लवलीना की मुलाकात साई में ट्रायल के दौरान भारतीय बॉक्सिंग कोच पदुम बोरो से हुई। यह मुलाकात उनके करियर के लिए सबसे खास रही। बोरो ने लवलीना को अमेच्योर बॉक्सिंग के लिए प्रोत्साहित किया।  

लवलीना ने 2012 में 14 साल की उम्र में गुवाहाटी के नेताजी सुभाष रीजनल सेंटर में अपनी बॉक्सिंग ट्रेनिंग की शुरुआत की थी। इसके बाद साल 2012 में जूनियर नेशनल चैंपियनशिप और सर्बिया में साल 2013 के नेशन वूमेंस जूनियर कप में रजत पदक जीतकर नाम बनाया। 

एशियाई खेलों से टोक्यो ओलंपिक तक का सफर 

लवलीना ने पहला बड़ा अंतरराष्ट्रीय मेडल 2017 एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप में हासिल किया, जो कि कांस्य पदक था। यह एक बड़ी उपलब्धि थी जिसकी वजह से उन्हें ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में हुए 2018 राष्ट्रमंडल खेल के लिए भारतीय टीम में जगह मिली।  इसके बाद लवलीना को गोल्ड कोस्ट 2018 में क्वार्टर-फाइनल में हार का सामना करना पड़ा। लेकिन नई दिल्ली में हुई विश्व चैंपियनशिप में वेल्टरवेट डिवीज़न में उन्होंने कांस्य पदक जीतकर बड़ा कारनामा किया। 

हालांकि टोक्यो ओलंपिक में लवलीना बोरगाहेने ने कांस्य पदक जीतकर इतिहास रच दिया।  लवलीना को सेमी-फाइनल में तुर्की की 2019 विश्व चैंपियन और आख़िरी बार की स्वर्ण पदक विजेता बुसेनाज सुरमेनेली से हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन टॉप चार में पहुंचकर वह कांस्य पदक जीतने में कामयाब रहीं।