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मेजबान भारत और इंग्लैंड के बीच पांच मैचों की टी-20आई सीरीज का तीसरा मुकाबला 28 जनवरी को राजकोट के निरंजन शाह स्टेडियम में खेला गया। खेले गए इस मुकाबले में मेजबान भारत को 26 रनों की करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। जिसके चलते सीरीज में इंग्लिश टीम ने वापसी करते हुए 2-1 कर दिया है। भारत की इस हार के बाद पूर्व इंग्लिग क्रिकेटर केविन पीटरसन ने भारतीय बल्लेबाजी क्रम सवाल उठाया है।
भारतीय बल्लेबाजी क्रम पर भड़के केविन पीटरसन
भारत और इंग्लैंड के बीच खेले गए तीसरे मुकाबले में भारतीय कप्तान सूर्यकुमार यादव ने टॉस जीतकर गेंदबाजी करने का फैसला किया। हालांकि 7 विकेट के ऊपर एक विकेट गिरने के बाद बेन डकेट और जोस बटलर ने दूसरे विकेट लिए 76 रन जोड़कर इंग्लिश टीम को बढ़िया स्थिति में पहुंचा दिया। जिसके चलते इंग्लैंड ने निर्धारित ओवरों में 9 विकेट के नुकसान पर 171 रन बोर्ड पर लगा दिए।
जिसका पीछा करने उतरी भारतीय टीम की शुरुआत निराशाजनक रही। टीम ने महज 68 रनों के स्कोर पर 4 विकेट गंवा दिए। इस दौरान भारतीय टीम मैनेजमेंट ने 8वें ओवर में तिलक वर्मा के आउट होने के बाद ध्रुव जुरेल की जगह वॉशिंगटन सुंदर को 5वें नंबर पर बल्लेबाजी के लिए भेजा। जहां सुंदर संघर्ष करते नजर आए ओर महज 15 गेंदों का सामना करते हुए 16 रन बनाकर पवेलियन लौट गए। जुरेल जिस समय बल्लेबाजी करने आए तब केवल 16 गेंदें शेष थी। वहीं उसी दौरान पांड्या ने दौड़ कर रन नहीं लेकर भारतीय टीम पर और दबाव बना दिया। जिसके चलते जुरेल महज 2 रन बनाकर आखिरी ओवर में आउट होकर पवेलियन लौट गए।
ऐसे में भारत के इस तरह बल्लेबाजी क्रम को लेकर केविन पीटरसन ने स्टार स्पोर्ट्स पर बात करते हुए कहा "मुझे भारतीय टीम का बल्लेबाजी क्रम भी पसंद नहीं आया। मैं ऐसा इंसान हूं जो मानता है कि आपके बेहतरीन बल्लेबाजों को टॉप ऑर्डर में बल्लेबाजी करनी चाहिए। मैं पिछले हफ्ते साउथ अफ्रीका में था, और डरबन सुपर जायंट्स टूर्नामेंट में एक बहुत ही चौंकाने वाला मैच हुआ था। क्विंटन डी कॉक 3 या 4 पर बल्लेबाजी कर रहे थे, और हेनरिक क्लासेन 6 या 7 पर बल्लेबाजी कर रहे थे। मैंने इन लोगों से पूछा, ‘आप ऐसा क्यों कर रहे हैं?"
"आपने आज शाम को यहां भी यही होते देखा है। ध्रुव जुरेल जैसे खिलाड़ी, जो एक बहुत अच्छे और बेहतरीन आक्रामक बल्लेबाज हैं, को लेफ्ट-राइट कॉम्बिनेशन के कारण नीचे उतारा जा रहा है। हार्दिक थोड़ा संघर्ष कर रहे हैं, और इन बल्लेबाजों पर 10 रन प्रति ओवर की दर से रन बनाने का इतना दबाव नहीं था।"