आज से 57 बरस पहले आज ही के दिन यानी 23 नवंबर 1967 को साउथ अफ्रीका के केपटाउन में जन्में गैरी कर्स्टन अपने दौर के बेहतरीन सलामी बल्लेबाजों में से एक माने जाते थे।1993 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना डेब्यू करने वाले कर्स्टन अपने पहले मैच में बल्ले से शानदार योगदान देते हुए साउथ अफ्रीका को सिडनी टेस्ट जीताने में अहम योगदान दिया।
दूसरे टेस्ट में साउथ अफ्रीका को दिलाई बड़ी जीत
26 से 30 दिसंबर 1993 के बीच सिडनी में खेले गए सीरीज के पहले टेस्ट मुकाबले में डेब्यू करने वाले कर्स्टन ने कुछ दिनों बाद ही 2 से 6 जनवरी 1994 को सिडनी में ही खेले गए सीरीज के दूसरे टेस्ट मुकाबले में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए मुश्किल पिचों पर दोनों पारियों में क्रमश: 67 और 41 रनों का योगदान देकर साउथ अफ्रीकी टीम को सिडनी क्लासिक मैच पांच रनों से जीतने में अहम योगदान दिया।
पहली पारी में 169 रनों पर सिमटने के बाद साउथ अफ्रीकी गेंदबाजों ने मेजबान टीम को 292 रनों पर रोक दिया।दूसरी पारी में साउथ अफ्रीका ने 239 रन बोर्ड पर लगाए। जिसके जवाब में 116 रनों के लक्ष्य का पीछा करने उतरी मेजबान ऑस्ट्रेलिया 111 रनों पर सिमट गई।
पहले टेस्ट शतक के लिए करना पड़ा इंतजार
हालांकि कर्स्टन के टेस्ट करियर का पहला टेस्ट शतक जोहान्सबर्ग में एथर्टन के मैच में इंग्लैंड के खिलाफ आया। इसके लिए उनको दो साल और 17 टेस्ट मैचों का योगदान करना पड़ा। लेकिन कर्स्टन को जल्द ही लंबी पारी का स्वाद चख लिया-1999-2000 में डरबन में इंग्लैंड के खिलाफ 275 रनों की रिकॉर्ड की बराबरी की, और उनके 21 टेस्ट शतकों में से आठ में 150 से अधिक के स्कोर किया। वह टेस्ट में 5000 रन बनाने वाले पहले दक्षिण अफ्रीकी भी थे।
संन्यास के बाद, कर्स्टन ने वॉरियर्स के साथ एक असिस्टेंट बल्लेबाजी कोच के रूप में कुछ समय काम किया और 2006 में केप टाउन में अपनी अकादमी की स्थापना की। दिसंबर 2007 में उन्होंने भारत के हेड कोच का कार्यभार संभाला। उनके कार्यकाल में भारतीय टीम नंबर 1 पर पहुंच गई। पहली बार टेस्ट रैंकिंग में नंबर 1 और 2011 वनडे वर्ल्ड कप भी जीता।