1 जून से अमेरिका और वेस्टइंडीज की मेजबानी में खेले जाने वाले आगामी टी20 वर्ल्ड कप के लिए भारतीय टीम में अर्शदीप सिंह और शुभमन गिल जैसे युवा खिलाड़ी और विराट कोहली, रवींद्र जडेजा और सूर्यकुमार यादव जैसे अनुभवी सितारो का शमिल किया गया है। ऐसे में टी20 विश्व कप 2024 में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए तैयार हैं।
इस आर्टिकल में हम भारत के टी20 वर्ल्ड कप टूर्नामेंट के 2010 संस्करण के प्रदर्शन पर एक नजर डालेंगे।
2010 टी20 विश्व कप टूर्नामेंट के तीसरे संस्करण की मेजबानी वेस्टइंडीज ने की थी। हालांकि भारत ने उद्घाटन संस्करण जीता था, और 2009 में इंग्लैंड में आयोजित दूसरे संस्करण में पाकिस्तान विजेता था।
भारत की 2010 T20 वर्ल्ड कप के लिए टीम
टी20 वर्ल्ड कप के पहले सीजन में धोनी की कप्तानी अपने नाम करने वाली भारतीय टीम की कमान टी20 वर्ल्ड कप 2010 मं भी एमएस धोनी को सौंपी गई।
टी20 वर्ल्ड कप 2010 के लिए भारतीय टीमः
महेंद्र सिंह धोनी (कप्तान), वीरेंद्र सहवाग (उप-कप्तान), सुरेश रैना, युवराज सिंह, गौतम गंभीर, यूसुफ पठान, रोहित शर्मा, रवींद्र जडेजा, आर विनय कुमार, जहीर खान, आशीष नेहरा, प्रवीण कुमार, हरभजन सिंह, पीयूष चावला, दिनेश कार्तिक।
भारत का ग्रुप स्टेज में प्रदर्शन
मेन इन ब्लू, जो पिछले संस्करण में बुरी तरह हार कर बाहर हुई थी। टी20 वर्ल्ड कप 2010 में एक मजबूत वापसी करने का लक्ष्य रखा थे, उन्हें ग्रुप सी में दक्षिण अफ्रीका और अफगानिस्तान के साथ रखा गया था। भारत ने 1 मई को अफगानिस्तान के खिलाफ अपने अभियान की शुरुआत की और उन पर सात विकेट से आसान जीत दर्ज की।
इसके बाद, 2 मई को, भारत को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ खेलना था, जहाँ भारत ने 14 रन से जीत हासिल की थी। इस जीत के परिणामस्वरूप, भारत ने सुपर 8 के लिए क्वालीफाई किया। इस मैच में सुरेश रैना टी20 वर्ल्ड कप में दूसरे और टी20 इंटरनेशनल में शतक लगाने वाले पहले भारतीय बने।
सुपर 8 में भारत का प्रदर्शन
सुपर 8 चरण में, भारत को ऑस्ट्रेलिया, श्रीलंका और वेस्ट इंडीज के साथ रखा गया था।
सुपर 8 के अपने पहले मैच में भारत को ऑस्ट्रेलिया से 49 रन से हार का सामना करना पड़ा। दूसरा मैच भी एम. एस. धोनी एंड कंपनी के लिए निराशाजनक रहा क्योंकि वे वेस्टइंडीज से 14 रन से हार गए थे।
सत्र के अपने तीसरे और अंतिम मैच में श्रीलंका ने भारत को पांच विकेट से हराया। अपनी लगातार हार के साथ, मेन इन ब्लू एक बार फिर सेमीफाइनल में जगह बनाने में नाकाम रही।
आखिरकार, इंग्लैंड ने फाइनल में ऑस्ट्रेलिया को सात विकेट से हराकर पहला आईसीसी खिताब अपने नाम किया।