
एक कैरेबियन बल्लेबाज अपनी आखों के नीचे काली पट्टी और अपने अजीबोगरीब बल्लेबाजी स्टांस के लिए लिए फैंस के बीच काफी चर्चित था। लेकिन वेस्टइंडीज के दिग्गज बल्लेबाजों में शुमार उस खिलाड़ी ने अपने बल्ले के दम पर अपने देश को कई मुकाबले जीतवाए हैं। हम बात कर रहे इंडो कैरेबियन खिलाड़ी शिवनारायण चंद्रपॉल की। जिनका जन्म आज ही के दिन यानी 16 अगस्त 1974 को गुयाना में हुआ था।
बने थे 100 टेस्ट खेलने वाले पहले इंडो-कैरेबियन खिलाड़ी
19 बरस की उम्र में इंटरनेशनल डेब्यू करने वाले शिवनारायण चंद्रपॉल वेस्टइंडीज के लिए 100 टेस्ट खेलने वाले पहले इंडो-कैरेबियन खिलाड़ी बने थे। और भारत के सचिन तेंदुलकर और श्रीलंका के सनथ जयसूर्या के बाद दो दशक तक क्रिकेट खेलने वाले तिसरे खिलाड़ी। माना जाता था कि चंद्रपॉल का पतला शरीर टेस्ट बल्लेबाज के लिए आदर्श है। उन्होंने अपने पहले 53 टेस्ट मैचों में केवल दो शतक बनाए, लेकिन उसके बाद इस अनुपात में काफी सुधार हुआ।
2006 में भारत के दौरे से उनके करियर रन ग्राफ में काफी सुधार देखने को मिला। उन्होंने अगले तीन वर्षों में 23 टेस्ट मैचों में सात शतक, 14 अर्धशतक बनाए और 73.09 की औसत से रन बनाए। 2005 में उन्हें कप्तान नियुक्त किया गया और उन्होंने गुयाना में अपने घरेलू मैदान में दोहरा शतक बनाकर जश्न मनाया। लेकिन उन्होंने अपनी बल्लेबाजी पर ध्यान केंद्रित करने के लिए अगले साल कप्तानी छोड़ दी।
उसके बाद से चंद्रपॉल रन मशीन बन गए और 2012 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ़ अपने 140वें टेस्ट में 10,000 टेस्ट रन पूरे किए - अपने ख़ास अंदाज़ में, मैच बचाने की कोशिश करते हुए। 2012 में उनका औसत 98.7 रहा और उन्होंने तीन शतक बनाए, जिसमें उनका दूसरा दोहरा शतक भी शामिल था।
जब भी टीम मुश्किल में होती, वे क्रीज पर डटे रहते और अपनी इच्छा से शतक जड़ते। लेकिन तीन साल बाद अकल्पनीय हुआ - 40 साल की उम्र में चंद्रपॉल को दस पारियों में सिर्फ़ एक अर्धशतक बनाने के बाद वेस्टइंडीज़ की टीम से बाहर कर दिया गया। और दिसंबर में सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से भी उनकी अनदेखी किए जाने के बाद, चंद्रपॉल ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी।