ऑस्ट्रेलिया के सबसे सफल कप्तानों में से एक रहे माइकल क्लार्क ने आज से करीब 9 बरस पहले आज ही के दिन यानी 23 अगस्त 2015 को टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कहा था। उनकी कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया ने न्यूजीलैंड को हराकर साल 2015 में आईसीसी वर्ल्ड कप अपने नाम किया था।
कैंसर मरीज से लेकर ऑस्ट्रेलिया के दिग्गज कप्तान बनने तक क्लार्क का शानदार सफर
अपने करीबियों के बीच पप के प्यारे नेक नेम से पहचाने जाने वाले माइकल क्लार्क ने अपना वनडे डेब्यू जनवरी 2003 में इंग्लैंड के खिलाफ एडिलेड में किया था। वहीं उनका टेस्ट डेब्यू अक्टूबर 2004 में भारत के खिलाफ हुआ। हालांकि अपने इंटरनेशनल डेब्यू के कुछ समय बाद ही साल 2005-06 में क्लार्क स्किन कैंसर के शिकार हो गए। हालांकि सही वक्त पर पता चलते ही और वक्त पर इलाज होने के उनकी यह खतरनाक बिमारी जल्द ही ठीक हो गई।
हालांकि 2011 से लेकर 2015 तक रिकी पोंटिंग के बाद माइकल क्लार्क को ऑस्ट्रेलियन टीम की कमान सौंपी गई। क्लार्क की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया ने 2013-14 में इंग्लैंड को एशेज सीरीज में 5-0 से हराकर इतिहास रचा। उसके बाद क्लार्क ने ऑस्ट्रेलियन टीम को नंबर वन टेस्ट टीम भी बनाने में अहम योगदान दिया।
एशेज सीरीज मे हार के बाद किया संन्यास का ऐलान
दरअसल 2015 में इंग्लैंड और ऑस्ट्रेलिया के बीच 5 मैचों की एशेज सीरीज खेली गई। सीरीज के आखिरी मुकाबले में इंग्लैंड पर पारी और 46 रन की शानदार जीत के साथ कप्तान माइकल क्लार्क टेस्ट क्रिकेट को अलविदा कह दिया था। खेले गए उस मुकाबले में चोटिल जोश हेजलवुड की जगह टीम में शामिल किए गए तेज गेंदबाज पीटर सिडल ने मोइन अली (35) को विकेट की पीछे कैच कराके फॉलोआन खेलते हुए इंग्लैंड की दूसरी पारी को 286 रन पर समेटकर ऑस्ट्रेलिया को जीत दिलाई।
हालांकि इस हार के बावजूद हालांकि इंग्लैंड ने एशेज 3-2 से जीत कर सीरीज अपने नाम की। हालांकि इस मुकाबले में क्लार्क अपने बल्ले से कमाल दिखाने में नाकाम रहे थे।